जिले में करीब एक सप्ताह से हो रही बारिश व नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान 104.620 मीटर के करीब पहुंचकर 104.510 मीटर पर स्थिर हो गया है। राप्ती नदी व पहाड़ी नालों में उफान आने से 50 से अधिक गांव जलमग्न हो गए हैं। कई सड़कों पर पानी चलने के कारण आवागमन ठप हो गया है। हरैया थाना सहित कई सरकारी भवनों में भी पानी भर गया है। बाढ़ की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर है।
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इन गांवों में भरा पानी
राप्ती नदी व खरझार पहाड़ी नाले में उफान से महराजगंज तराई क्षेत्र के साखीरेत, चंदनजोत, हिम्मतपुरवा, सुखदेव पुरवा, चिकनौटा, पटोहाकोट, किठूरा, कौवापुर, बुड़ंतपुर, पूरेछीटन, पठानपुरवा व अम्मरनगर आदि गांवों में भी पानी भर गया है।
पहाड़ी नाले भी उफ़ान पर
पहाड़ों पर हो रही बारिश के चलते हरैया व ललिया थाना क्षेत्र के हेंगहा, ककरहवा, जमधरा, कचनी, फोहरी, गौरिया व धोबैनिया पहाड़ी नालों में उफान आ गया है। पहाड़ी नालों की बाढ़ से मदारगढ़, बनघुसरी, ठड़क्की, कमदी, परसहवा, चनियाकोट, किला, भुसैलिया, लखनीपुर, लौकहवा, वोदरहिया, नरायनपुर, पिट्ठा व प्रतापपुर आदि गांवों में पानी भर गया है। बाढ़ का पानी खेतों में भर जाने से धान, मक्का, उड़द, मूंग, गन्ना व सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचा है।