सहारा निवेशकों को सुप्रीम कोर्ट से मिली खुशखबरी, अटके पैसे जल्द मिलने की बढ़ गई उम्मीद

सहारा समूह के निवेशकों को अटके पैसे जल्द मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया, जो सहारा के निवेशकों के लिए राहत देने वाला साबित हो सकता है. उच्चतम न्यायालय ने समूह को 15 दिनों के भीतर 1 हजार करोड़ रुपये जमा कराने के लिए कहा है.






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दो कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश


सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश सहारा इंडिया परिवार की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प को दिया है. पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें कहा गया है कि वे अगले 15 दिनों के भीतर 1 हजार करोड़ रुपये जमा कराएं. दोनों कंपनियों को यह रकम सेबी-सहारा फंड में जमा करने के लिए कहा गया है. सेबी-सहारा फंड में रकम जमा होने से निवेशकों को अटके पैसे मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी.


पिछले वर्ष जुलाई में शुरू हुआ था रिफंड पोर्टल


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल जुलाई महीने में सहारा रिफंड पोर्टल की शुरुआत की थी. सहारा की विभिन्न योजनाओं में गाढ़ी कमाई निवेश करने वाले करोड़ों निवेशकों को रिफंड दिलाने के लिए पोर्टल की शुरुआत की गई थी. हालांकि सहारा रिफंड पोर्टल की शुरुआत के साल भर से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी निवेशकों को अटके पैसे नहीं मिल पाए हैं.



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सहारा समूह ने जमा कराए सिर्फ 15 हजार करोड़


दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को सेबी-सहारा फंड में 25 हजार करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा था. अभी तक सहारा समूह ने फंड में 15 हजार करोड़ रुपये ही जमा किए हैं. मतलब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सहारा समूह की कंपनियों को जितना फंड जमा करना था, उसमें अभी भी 10 हजार करोड़ रुपये की कमी है. निवेशकों को उनके अटके पैसे इसी फंड से दिए जा रहे हैं.



सहारा फंड में आएंगे किसी भी प्रॉपर्टी की बिक्री के पैसे


सुप्रीम कोर्ट ने कम पड़ रहे पैसे पूरा करने के लिए सहारा को एक जॉइंट वेंचर बनाने या लैंड डेवलपमेंट एग्रीमेंट करने के लिए भी कहा है. यह निर्देश सहारा की वर्सोवा प्रॉपर्टी के लिए है. साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सहारा समूह की कोई कंपनी अगर किसी अन्य प्रॉपर्टी को बेचती है तो उससे मिलने वाले पैसे सेबी-सहारा फंड में जमा किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट एक महीने बाद फिर से मामले की सुनवाई करेगा और देखेगा कि सहारा ने उसके निर्देशों का किस हद तक पालन किया है.

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