पिछले कुछ महीनों में रेल दुर्घटना काफ़ी तेज़ी से बढ़ी है। फिर चाहे वो कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश हो या फिर रामपुर में ट्रैक पर खंभा रखने की घटना। इन घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे सुरक्षा बल गंभीर हो गया है। ट्रैक की सुरक्षा को लेकर एक नया एक्शन प्लान तैयार किया गया है। इसमें रेलवे लाइन से सटे गांवों के प्रधानों व अन्य जागरूक लोगों से रेलवे सुरक्षा बल की टीम संवाद करने में जुटी हुई है। इन्हें ट्रैक मित्र बनाकर ट्रैक की माॅनीटरिंग बढ़ाई जाएगी। अब तक पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन में 170 ट्रैक मित्र बनाए जा चुके हैं। वहीं, बलरामपुर जिले में अब तक 22 ट्रैक मित्र बनाए जा चुके हैं।
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बलरामपुर जिला नेपाल से सटा हुआ है। जिले से होकर बढ़नी होते हुए इंटरसिटी सहित करीब एक दर्जन ट्रेनों के माध्यम से हजारों यात्रियों का प्रतिदिन आवागमन होता है। हालांकि रेलवे सुरक्षा बल की टीम स्टेशनों पर तैनात है। हाल की घटनाओं को देखते हुए ट्रैक की निगरानी बढ़ाई गई है। रेलवे सुरक्षा बल के कर्मियों को ट्रैक पर गश्त करने को कहा गया है ताकि इस तरह के हादसों पर रोक लगाई जा सके।
क्या होगा ट्रैक मित्र का काम
बलरामपुर जिलें में रेलवे लाइनों से सटे गांवों के प्रधानों व संभ्रांत लोगों के बारे में आरपीएफ जानकारी जुटा रही है। इनका नाम व मोबाइल नंबर एकत्र किया जा रहा है। आरपीएफ इन्हें ट्रैक मित्र बना रही है। इसके पीछे की मंशा यह है कि रेलवे लाइन के किनारे रहने के कारण वह ट्रैक पर नजर रख सकेंगे। अगर कोई ऐसी बात उन्हें नजर आएगी, जो असामान्य हो तो उस पर तत्काल जानकारी मिल सकेगी। ऐसे में उस पर कार्रवाई की जा सकेगी।
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वरिष्ठ अधिकारी करेंगे संवाद
ट्रैक मित्र से आरपीएफ के अधिकारी सीधा संवाद करेंगे। उनसे संपर्क करके ट्रैक के बारे में जानकारी के साथ ही रेल अपराध के बारे में भी नजर रखेंगे। बलरामपुर आरपीएफ टीम के राजेश कुमार सिंह ने गांवों में भ्रमण करके अब तक 22 लोगों को ट्रैक मित्र बनाया है। इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई है।