पड़ोसी जनपद बहराइच में पिछले कुछ माह से भेड़िये के आतंक से हर कोई दहशत में है। ऐसे में वन विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। हालांकि अभी जिले में भेड़िये का कोई भी इनपुट नहीं मिला है। इसके बाद भी रैपिड रिस्पांस टीम का गठन करने के साथ ही सीसीटीवी व ड्रोन कैमरे से नजर रखने का दावा वन विभाग के अधिकारी कर रहे हैं।
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जिले के तुलसीपुर तहसील क्षेत्र के इलाके भारत-नेपाल अंतराष्ट्रीय सीमा से सटे हैं। इन्हीं में स्थित सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र है। 683 वर्ग किमी के इस क्षेत्र में तीन बाघों के साथ ही तेंदुए, भालू, जंगली बिल्ली, जंगली सुअर सहित विभिन्न प्रजातियों के पक्षी रह रहे हैं। यहां पर जंगल से सटे इलाकों के गांवों में तेंदुआ लोगों के लिए परेशानी का कारण है।
बहराइच में भेड़िये की दहशत बढ़ने के बाद यहां भी निगरानी बढ़ाई गई है। प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. एम सेम्मारन का कहना है कि अभी तक यहां पर भेड़िये का कोई मामला सामने नहीं आया है। इसके बाद भी सतर्कता बरती जा रही है। रैपिड रिस्पांस टीमों के गठन के साथ ही सीसीटीवी कैमरा व ड्रोन कैमरे से नजर रखी जा रही है। कुछ जगहों पर ट्रेस कैमरा भी लगाया जा रहा है। कर्मियों को अलर्ट मोड पर रहने को कहा गया है। जंगल से सटे इलाके के लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
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बलरामपुर जिलें में 22 साल पहले था भेड़िये का खौफ
22 साल पहले 2002 में बलरामपुर के तराई क्षेत्र के गांवों में भेड़िये का खौफ था। करीब दो साल तक भेड़िया सक्रिय था। 100 से अधिक बच्चों को भेड़िये ने अपना निवाला बना लिया था। कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिनका शिकार भेड़ियों ने किया, लेकिन उनके शव बरामद नहीं हो सके थे। हालांकि बाद में शॉर्प शूटरों की टीम को यहां पर उतारा गया था। इसके बाद लोगों को भेड़िये से निजात मिल सकी थी।