स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों में बनाए गए कूड़ा निस्तारण केंद्र (आरआरसी) खुद कूड़ा हो गए। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी इन कूड़ा निस्तारण केंद्रों का संचालन नहीं हो पा रहा है। गांवों में दिखाई दे रहे कचरे के ढेर इन कूड़ा निस्तारण केंद्रों को मुंह चिढ़ा रहे हैं।
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गांवों में सड़कों के किनारे और घरों से इकट्ठा होने वाले कचरे से निजात दिलाने के लिए सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत करीब एक अरब 37 करोड़ रुपए से 503 गांवों में कूड़ा निस्तारण केंद्रों का निर्माण कराया गया है, लेकिन करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी इन कूड़ा निस्तारण केंद्रों पर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पा रही हैं। न तो घरों से कूड़ा कलेक्शन ही हो रहा है, और न इन निस्तारण केंद्रों पर कूड़े से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू हो पाई है। सरकार की मंशा थी, कि कूड़ा निस्तारण केंद्रों के माध्यम से गांव व घरों का कचरा इकट्ठा कर उसका डिस्पोजल कर दिया जाए। बाद में प्रक्रिया द्वारा उसका खाद बनाकर बेचते हुए पंचायतों की आय में भी इजाफा हो। घरों से कूड़ा निस्तारण करने पर शुल्क भी वसूले जाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन गांवों में सड़कों पर जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर सिस्टम की बदहाली और अव्यवस्थाओं की पोल खोल रहे हैं।
अलग-अलग इकट्ठा करना था सूखा और गीला कूड़ा
इन केंद्रों के लिए पंचायतों में सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग इकट्ठा करना था। ग्राम पंचायतों के धार्मिक स्थल, स्कूल, पंचायत भवन, ग्राम सचिवालय, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र, गलियां, चौराहों, ग्रामीणों के घरों से कूड़ा एकत्र कर ई-रिक्शा के माध्यमों से निस्तारण केंद्र तक पहुंचाया जाना था।
गांवों में बने कूड़ा निस्तारण केंद्रों को उपयोग हर हाल में किया जाना है। जो इस कार्य में लापरवाही बरतेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी - हिमांशु गुप्ता, मुख्य विकास अधिकारी