गोरखपुर जिले के बेलीपार के भौवापार निवासी प्रशांत पांडेय जल्द अमीर बनना चाहता था। उसने अपने ही जैसे कुछ और परिचितों को भी गिरोह में जोड़ा। सभी ने मिलकर यूट्यूब पर नोट छापने का तरीका सीखा। इसके बाद प्रशांत ने एक प्रिंटर खरीदा फिर भौवापार स्थित अपने ही पुराने बंद पड़े घर पर जाली नोट छापने लगा। पुलिस ने एक प्रिंटर, लैपटाप और पेपर प्रशांत पांडेय के अस्थायी निवास से बरामद किया है।
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प्रशांत ने पुलिस को बताया कि वह एक माह से जाली नोट छाप रहा था। केवल सौ-सौ रुपये की नोट छापता था। इसे बनाना आसान होता है। कोई सौ रुपये की नोट को बहुत ध्यान से नहीं देखता है। बताया कि पहले सौ रुपये के कुछ नोट छापने के बाद बेलीपार में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में उसे चलाया। कहीं कोई परेशानी नहीं आई। इसके बाद और नोट छापने शुरू किए। एक बार में एक लाख रुपये तक छापा जाता था। जब तक यह नोट खत्म नहीं हो जाते थे तब तक नोट नहीं छापे जाते थे।
दुर्गाबाड़ी का मुस्तफा चलाता था प्रिंटर
बेलीपार के भौवापार निवासी गोलू कन्नौजिया पुत्र शम्भू, प्रशांत पांडेय पुत्र महेंद्र पांडेय, अमन विश्वकर्मा पुत्र दिनेश, आदित्य सिंह पुत्र प्रेम सिंह और कोतवाली इलाके के दुर्गाबाड़ी के मुस्तफा पुत्र अकबर अली को पुलिस ने जाली नोट के साथ पकड़ा है। इसमें प्रिंटर से नोट छापने का काम प्रशांत और दुर्गाबाड़ी का मुस्तफा करते थे। दोनों इस काम में माहिर थे। वहीं भौवापार के अन्य तीन युवक बाजार में जाली नोट चलाते थे।
कार बंगला खरीदने का देखने लगे ख्वाब
पांचों आरोपी पढ़ लिखकर बेरोजगार थे। इनके पास कोई काम नहीं था। अचानक यूट्यूब देखकर शार्ट कट अमीर बनने का आइडिया दिमाग में आया। जब पहली बार प्रिंटर से नोट छापे और रुपये बाजार में चल गए तो इनका विश्वास जम गया। अब वे कार बंगला खरीदने का सपना देखने लगे थे।