वर्ष 2023 में देशभर में सड़क दुर्घटनाओं में 1.73 लाख से लोगों की जान गई, जिनमें सबसे ज्यादा 23,652 लोगों की मौतें उत्तर प्रदेश में ही हुई हैं। लोक निर्माण विभाग के अक्टूबर माह के आंकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं के लिए काफी हद तक जिम्मेदार 1,363 ब्लैक स्पाटों को चिह्नित किया गया है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि इनमें से 39 जिलों के 458 ब्लैक स्पाटों को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी कोई भी विभाग लेने को तैयार नहीं हैं। कुल ब्लैक स्पाटों में 370 को लोक निर्माण विभाग सही करवा रहा है जबकि 535 को ठीक करने की जिम्मेदारी कुछ अन्य विभागों ने ली है। इन ब्लैक स्पाट को जल्द ठीक नहीं किया गया तो सड़क दुर्घटनाओं में कई और जिंदगियां खत्म हो सकती हैं।
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कैसे चिन्हित किया जाता हैं ब्लैक स्पॉट?
ब्लैक स्पाटों को चिह्नित करने के लिए किसी भी सड़क पर 500 मीटर के दायरे में तीन वर्षों में हुई सड़क दुर्घटनाओ की जानकारी ली जाती हैं। पिछले तीन वर्षों में कम से कम पांच भीषण सड़क दुर्घटनाओं में 10 लोगों की मौत होने या पांच लोगों के गंभीर रूप से घायल होने पर उस स्थान को ब्लैक स्पाट के रूप में चिह्नित किया जाता है। इसके बाद चिह्नित स्थल का दौरा करके सड़क दुर्घटनाओं के कारण की जांच की जाती है। इंजीनियरिंग या निर्माण व डिजाइन से संबंधित कमी पाए जाने पर लोक निर्माण विभाग उसे सही करवाने की जिम्मेदारी लेता है। इसी जांच के आधार पर मौके पर क्या-क्या सुधार होने चाहिए इसकी रिपोर्ट भी तैयार की जाती है। दुर्घटना रोकने के उपाय करने के तीन वर्षों में चिह्नित स्थल पर कोई सड़क दुर्घटना नहीं होती है तो उस ब्लैक स्पाट को समाप्त मान लिया जाता है। सड़क सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने 200 करोड़ का प्रविधान किया है। लोक निर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष योगेश पवार ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार ब्लैक स्पाटों को सही किया जा रहा है।