महाकुंभ मेले का आयोजन 12 साल बाद प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है. हालांकि प्रयागराज में गंगा यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर लगने वाला महाकुंभ सबसे भव्य माना जाता है.
महाकुंभ में स्नान का महत्व
कुंभ के मेले में स्नान का बहुत महत्व होता है. मान्यता है कि कुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्मों के पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. प्रयागराज में पवित्र मानी जाने वाली तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है. इसलिए यहां महाकुंभ के दौरान स्नान करने का बहुत अधिक महत्व है. महाकुंभ में कल्पवास करने वाले भक्त हर दिन तीन बार स्नान करते हैं. इसके अलावा चार तिथियों का शाही स्नान की व्यवस्था होती है. शाही स्नान में बड़ी संख्या के साधु संत स्नान के लिए पहुंचते हैं. इस बार मेले में तीन शाही स्नान होंगे. साधु संतों के साथ-साथ देश विदेश से पहुंचेन वाले लाखों भक्त व श्रद्धालु संगम में स्नान का लाभ प्राप्त करेंगे.
कुंभ के मेले में स्नान का बहुत महत्व होता है. मान्यता है कि कुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्मों के पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. प्रयागराज में पवित्र मानी जाने वाली तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है. इसलिए यहां महाकुंभ के दौरान स्नान करने का बहुत अधिक महत्व है. महाकुंभ में कल्पवास करने वाले भक्त हर दिन तीन बार स्नान करते हैं. इसके अलावा चार तिथियों का शाही स्नान की व्यवस्था होती है. शाही स्नान में बड़ी संख्या के साधु संत स्नान के लिए पहुंचते हैं. इस बार मेले में तीन शाही स्नान होंगे. साधु संतों के साथ-साथ देश विदेश से पहुंचेन वाले लाखों भक्त व श्रद्धालु संगम में स्नान का लाभ प्राप्त करेंगे.
महाकुंभ-2025 में स्नान की तारीखें
इस बार प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ मेले में स्नान पौष पूर्णिमा यानी 13 जनवरी से शुरू होगा. इस मेले में तीन शाही स्नान होंगे. पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर और दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या और अंतिम शाही स्नान 3 फरवरी को वसंत पंचमी को होगा. इसके अलावा 4 फरवरी को अचला सप्तमी 12 फरवरी को माघ पुर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर आखिरी स्नान होगा.