बलरामपुर जिले में सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग के बनकटवा रेंज के जंगलों में एक बार फिर बाघ के पगचिह्न दिखाई दिए हैं। इसकी जानकारी वनकर्मियों ने अधिकारियों को दी है। इसके आधार पर विशेषज्ञों से जानकारी जुटाई जा रही है। बीते वर्ष 2023 में ट्रैपिंग कैमरे से सोहेलवा जंगल में तीन बाघ दिखने के बाद इसे टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही प्रस्ताव को स्वीकृति भी मिल सकती हैं।
सात दिसंबर को बनकटवा रेंज के वन रक्षक राज प्रताप गुप्ता और राजू यादव जंगल में कॉम्बिंग करने गए थे। वहां अंदर जाने पर बाघ के पगचिह्न दिखाई दिए। इसके बाद अधिकारियों को जानकारी दी। इसपर विशेषज्ञों ने मौके पर पहुंचकर जांच की। पगचिह्न बाघ का ही बताया है। डीएफओ डॉ. एम सेम्मारन ने बताया कि इसके आधार पर वनकर्मियों को निगरानी करने को कहा गया है। सोहेलवा को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। जल्द ही अनुमति मिलने की उम्मीद है।
एक नज़र में सोहेलवा वन्य जीव अभ्यारण
भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित सोहेलवा को 1988 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। 683 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले सोहेलवा क्षेत्र में वर्ष 2022-23 में वन विभाग ने यहां पर टाइगर की मौजूदगी पता करने के लिए कैमरे लगाए थे। इस कार्य में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का सहयोग लिया गया था। 200 वर्ग किलोमीटर में करीब 400 कैमरों से करीब एक माह से अधिक समय तक निगरानी की गई। कैमरे में तीन बाघ की मौजूदगी के प्रमाण मिले थे। इसके बाद इसे टाइगर रिजर्व घोषित करने की कवायद तेज हो गई। नवंबर में बलरामपुर जिले के भ्रमण पर आए केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने भी टाइगर रिजर्व घोषित करने को लेकर आश्वासन दिया था।