बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में स्थित सुप्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में शामिल मां पाटेश्वरी (देवीपाटन) के आशीर्वाद से देवीपाटन मंडल में बलरामपुर को विश्वविद्यालय का उपहार मिला है। कुलपति की नियुक्ति के बाद अब यहां शैक्षिक गतिविधियां तेज करने की कवायद शुरू की गई है। शिक्षा जगत की इस स्वर्णिम उपलब्धि में इतिहास लिखने की शुरुआत मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के लोगो से की गई है।
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विश्वविद्यालय के प्रतीक चिन्ह को लेकर प्रतियोगिता का आयोजन
मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय का प्रतीक चिन्ह ऐसा होगा, जो हिमालय की तलहटी में बसे बलरामपुर, शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर व वहां स्थित सूर्यकुंड, सोहेलवा की वादियों, कुंवारी गंगा कही जाने वाली राप्ती व यहां की धरोहरों की छवि को दर्शाता हो। इस लोगो की रचना में एक से बढ़कर एक बुद्धिजीवी अपनी रचनात्मक क्षमता प्रदर्शित करने को जी-जान से जुटे हैं।
17वीं शताब्दी के आरम्भ में हुई थी बलरामपुर की स्थापना
अवध क्षेत्र में राजा माधव सिंह ने 17वीं शताब्दी के आरंभ में अपने पुत्र बलराम दास के नाम पर बलरामपुर राज की स्थापना की थी। उनके वंशज महाराजा पाटेश्वरी प्रसाद सिंह द्वारा 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में सिटी पैलेस का निर्माण कराया था। आज भी राज महाराजाओं के दौर में बने पुराने भवन व मंदिर धरोहर के रूप में संरक्षित हैं। साथ ही तुलसीपुर में बना शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर देश ही नहीं विदेश में भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। 452 वर्ग किलोमीटर में फैला सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग जैव विविधता को समेटे हुए है। श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज और गोरखपुर तक बहने वाली विशाल राप्ती नदी यहां के सांस्कृतिक धरोहर की पहचान हैं। मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के लोगो निर्माण में इन सांस्कृतिक धरोहरों का समावेश किया जा सकेगा। मां पाटेश्वरी की गोद में समाए धरोहरों से लोग अपनी रचनात्मक व सृजनात्मक क्षमता को निखार कर इतिहास रच सकेंगे।
तीन रंगों में सामाजिक व सांस्कृतिक भाव से होगा निहित
मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के लोगो का निर्धारण करने के लिए महाविद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता होगी। इसमें सभी शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी व पुरातन छात्र परिषद के साथ समाज के विभिन्न वर्गों में कार्यरत लोग महाविद्यालयों के जरिए प्रविष्टि भेज सकते हैं। प्रतिभागी को 10 गुणा 10 इंच के वृत्तहीन आकार में डिजाइन बनाना है। इसमें अधिकतम तीन रंगों का प्रयोग किया जाना है। प्रतीक चिन्ह ऐसा होगा, जिस पर सामाजिक व सांस्कृतिक छाप हो। लोगो में सूत्रवाक्य ऐसा होगा जो सरल व पठनीय हो। आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक भाव होगा। एमएलके कालेज के प्राचार्य प्रो. जनार्दन पांडेय ने बताया कि अब तक 50 से अधिक प्रविष्टियां मिलीं हैं।
विश्वविद्यालय के लोगो के लिए प्रविष्टियों का चयन
पहले महाविद्यालय स्तर पर गठित समिति के माध्यम से किया जाएगा। 24 जनवरी तक महाविद्यालयों में प्रविष्टियां भेजनी होगी। प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के रूप में चयनित प्रविष्टियों को तीन फरवरी तक विश्वविद्यालय में भेजा जाएगा। इसके बाद विश्वविद्यालय स्तर पर गठित समिति महाविद्यालयों से चयनित प्रविष्टियों में से प्रथम, द्वितीय व तृतीय का चयन करेगी। प्रथम स्थान पाने वाले को पांच हजार नकद के साथ विवि का पहला प्रमाण पत्र दिया जाएगा। उसी का लोगो विवि के प्रतीक चिन्ह के रूप में प्रयोग होगा - प्रो. रविशंकर सिंह, कुलपति मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय, बलरामपुर