प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही नेपाल सीमा से सटे सोहेलवा में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जरूरत है तो सुनियोजित विकास की, जिसका इंतजार लंबे समय से लोगों को है। इससे सामाजिक विकास के साथ ही आर्थिक उन्नति की राह भी दिखेगी। बीते साल नवंबर माह में जरवा इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है। इसके अलावा साेहेलवा की परियोजनाओं को स्वीकृति का भी इंतजार है।
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शासन द्वारा वर्ष 2019 में सोहेलवा जंगल में स्थित जलाशयों का सुंदरीकरण कराने, गेस्ट हाउस, पुलिस चौकी, मोटरबोट व पर्यटकों को लुभाने के लिए अन्य सुविधाएं मुहैया कराने की योजना बनाई थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से अटल संकुल बनाने की योजना भी फाइलों से बाहर नहीं आ सकी। प्राकृतिक सुंदरता की छटा देखने के लिए पर्यटकों को नेपाल सीमा से सटे क्षेत्र तक ले जाने की योजना अभी परवान नहीं चढ़ सकी। तुलसीपुर में स्थित 51 शक्तिपीठों में शुमार देवीपाटन मंदिर में देश व विदेशी धार्मिक पर्यटकों की आमद पूरे साल रहती है। विशेषकर नवरात्र में उनकी संख्या बढ़ जाती है। तुलसीपुर बौद्ध सर्किट से भी जुड़ा है। इस कारण श्रावस्ती व लुंबिनी की यात्रा पर आने वाले विदेशी मेहमानों को सोहेलवा जंगल की सैर कराने के लिए आसानी से लुभाया जा सकता है।
इको टूरिज्म के लिए बनी योजना के लागू होने का इंतजार
बलरामपुर जिले में इको टूरिज्म के विकास के लिए नेपाल सीमा पर सोहेलवा जंगल से सटे क्षेत्र में पर्यटकों को लुभाने के लिए 85 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। भगवानपुर व चित्तौड़गढ़ जलाशय की सिल्ट सफाई कर जल संग्रहण क्षमता को बढ़ाना है। जलाशयों से सटे जंगल में नेचुरल ट्रैक का निर्माण होना है, ताकि पर्यटक जल क्रीड़ा के साथ सोहेलवा की वादियों का लुत्फ उठा सकें। दोनों जलाशयों की सफाई करके गहरा किया जाएगा। बोटिंग के साथ पैरासिलिंग की व्यवस्था की जाएगी। जलाशय के किनारे बांध तक वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। यहां साइकिल ट्रैक बनाया जाएगा। आसपास के लोग साइकिल किराए पर देकर लोगों को सैर कराएंगे। पास के थारू गांव मड़नी सड़नी में थारूहट बनाकर ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना है।
जरवा में विकसित किया गया है ईको पर्यटन स्थल
जरवा के दारा नाला के समीप ईको पर्यटन स्थल विकसित किया गया है। नवंबर से यहां लोग बदले नजारे का लुत्फ उठा रहे हैं। दारा नाला के पास वाच टावर बना है, जहां से नेपाल के पहाड़ भी देख सकते हैं। यहां पर बच्चों के लिए पार्क, खेलने के लिए झूला का प्रबंध किया गया है। कैंटीन की भी व्यवस्था की गई है। साथ ही पांच किलोमीटर का नेचर ट्रैक बनाया गया है। यहां पर पैदल व साइकिल से भ्रमण किया जा सकता है। पर्यटकों के बैठने के लिए बेंच आदि का प्रबंध भी किया गया है।
पर्यटन विकास की योजना पर हो रहा काम
इको पर्यटन को विकसित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन से जमीन मांगी गई है, उपलब्धता पर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इसके अलावा देवीपाटन मंदिर परिक्षेत्र को विकसित करने के लिए 120 करोड़ का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। स्वीकृति मिलने पर कार्य कराया जाएगा - मनीष श्रीवास्तव, जिला पर्यटन अधिकारी