ग्रामीणों ने बताया कि मंगलवार को सुबह जलाशय की और घूमने गये थे तभी गीली मिटटी पर बड़े आकार के पगचिन्ह दिखाई दिया. ग्रामीणों ने बताया कि वन्यजीव अक्सर जलाशय में पानी पीने आते है. ग्रामीणों का कहना है कि इतने बड़े पगचिन्ह बाघ के ही होते है .
452 वर्ग किलोमीटर में फैला सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में बाघ का विचरण करना सुखद संकेत है. भारत-नेपाल सीमा से सटे इस जंगल में अनेक वन्यजीव विचरण करते हैं. वहीं वन विभाग की टीम ने अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया है. पगचिह्न की जांच के बाद ही स्थिति साफ होगा
दो साल पहले तीन बाघ होने की भेजी गई थी रिपोर्ट
वन विभाग ने 2 साल पहले जंगल में लगे कैमरों से मिले फुटेज के आधार पर सोहेलवा वन क्षेत्र में बाघ होने की पुष्टि पहले भी कर चुकी है. तीन बाघ जंगल में होने की रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई थी, ताकि बाघ के संरक्षण की दिशा में प्रयास हो सकें. डीएफओ ने बताया कि बाघ की पुष्टि होने पर फिर रिपोर्ट भेजी जाएगी.