नेपाल राष्ट्र के सीमावर्ती जिले में फर्जी आधार कार्ड के साथ ही जन्म, निवास और आय प्रमाणपत्र बनाने के जालसाजों के तार पूर्वांचल के कई जिलों तक फैले हैं। कथित जनसेवा केंद्र संचालक दिनेश पाठक ने अपना भी फर्जी आधार कार्ड बना रखा था, ताकि पुलिस के आंख में धूल झोंक सके। उसने कोलकाता से आधार कार्ड बनवाया था, इसके साथ ही नेपाल में ही ठिकाने बनाने की रणनीति भी तैयार कर रखी थी। लेकिन बलरामपुर पुलिस ने ऐन वक्त पर पूरे गिरोह का पर्दाफाश कर फर्जीवाड़ा के जाल को फैलाने की कोशिश पर पानी फेर दिया।
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पुलिस के हाथ जालसाजों के 13 लैपटाॅप समेत कई तकनीकी संसाधन मिले हैं, यही नहीं व्हाट्सएप चैट हैरान करने वाले हैं। एसपी विकास कुमार ने जालसाजों के तंत्र पर भी संकेत दिए हैं। दूसरे राष्ट्र के लोगों को भी आधार कार्ड के जरिए भारत की नागरिकता का प्रमाणपत्र देने की जो पटकथा तैयार हुई थी उसके अहम तथ्य भी पुलिस के हाथ लगे हैं। हालांकि अभी पुलिस इसका पुख्ता प्रमाण ढूंढ रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से स्कूली बच्चों के आधार बनाने के लिए दी गई आईडी और पासवर्ड के बेजा इस्तेमाल के मामले में भी पुलिस चौकन्नी हो गई है। दरअसल इस समय बलरामपुर और सिद्धार्थनगर ही नहीं सभी जिलों में आधार कार्ड बनाने का जोर चल रहा है। सिद्धार्थनगर के शिक्षामित्र महेंद्र मिश्र की जालसाजों के गैंग से सीधा संबंध होने की पुष्टि से जांच का दायरा और बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि श्रावस्ती, बहराइच, महराजगंज आदि नेपाल राष्ट्र के सीमावर्ती जिलों में इन जालसाजाें के तार भी जुड़े हैं।
अभी की जा रही है जांच
फर्जी आधार कार्ड बनाए जाने का मामला काफी गंभीर है। इसमें 11 की गिरफ्तारी कर ली गई है, पूछताछ और छानबीन में कई तथ्य सामने आए हैं। इसके आधार पर आगे भी जांच की जा रही है। जालसाजों का तंत्र कई जिलों तक फैले होने की आशंका है, कार्रवाई जारी रहेगी - विकास कुमार, पुलिस अधीक्षक