मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय में प्रशासनिक कार्यों की कवायद तेज नहीं हो पा रही है। दरअसल, कारण यह है कि डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से 18 कर्मियों की नियुक्ति होनी थी। अब तक उन्हें अवध विवि से कार्यमुक्त नहीं किया गया है। इससे न सिर्फ प्रशासनिक कार्य बाधित हो रहे हैं, बल्कि शैक्षिक गतिविधियां भी प्रभावित हैं। वर्तमान में कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी निर्माणाधीन विश्वविद्यालय की निगरानी व अन्य कार्यों की बागडोर संभाल रहे हैं।
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आकांक्षात्मक जिलों में शामिल बलरामपुर को कड़े संघर्ष के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय की सुविधा दी है। इस विवि में देवीपाटन मंडल के चारों जिले बलरामपुर, गोंडा, बहराइच व श्रावस्ती के करीब 167 महाविद्यालयों को संबद्ध किया जाएगा। मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रो रविशंकर सिंह ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद बलरामपुर और श्रावस्ती की सीमा पर स्थित घूघुलपुर में अस्थाई कार्यालय बनाया है। सदर विकासखंड के कोयलरा छितईपुर गांव के बीच निर्माण तेजी से हो रहा है।
जनवरी में ही अवध से आना था 18 का स्टाफ
मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय में शैक्षिक गतिविधियां और प्रशासनिक कार्य संचालित करने के लिए वर्तमान में कुलपति समेत कुलसचिव के रूप में एडीएम न्यायिक प्रमोद कुमार व गोंडा के सहायक वित्त अधिकारी श्यामलाल जायसवाल को दायित्व मिला है। घूघुलपुर में अस्थाई कार्यालय शुरू होने के बाद 18 का स्टाफ डा. राममनोहर लोहिया अवध विवि अयोध्या से जनवरी में ही आने थे। अब तक स्टाफ को अवध विवि ने कार्यमुक्त नहीं किया है। वहीं, बलरामपुर में विवि के प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
अभी तक विवि प्रशासन ने स्थानांतरित होने वाले 18 कर्मियों की सूची ही तैयार नहीं की। किस आधार पर कर्मचारियों की सूची तैयार की जाए, इसी संकट में अधिकारी फंसे हैं। इससे संबंधित शासन के निर्देशों के अनुपालन कराने की प्रकिया चल रही है - डा. विजयेंदु चतुर्वेदी, मीडिया प्रभारी, डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालय का निर्माण तेजी से चल रहा है। प्रशासनिक कार्यों व शैक्षिक गतिविधियों को तेज करने के लिए यहां नियुक्ति होने वाले 18 स्टाफ को अवध विश्वविद्यालय ने अब तक मुक्त नहीं किया है। इसके लिए पत्र लिखा गया है - प्रो. रविशंकर सिंह, कुलपति मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय बलरामपुर